Wednesday, August 11, 2010

मोबाइल की आत्माओं से मिलिए


एंड्रॉयड , सिंबियन , बाडा , ओएस ..

ऐसे शब्द आपको अगर अनजान लगते हैं और पूछने में हिचक होती है तो आज यही कन्फ्यूजन मिटाने के लिए लाए हैं मोबाइल फोन के ऑपरेटिंग सिस्टमों के बारे में पूरी जानकारी। साथ ही यह भी कि क्यों ये अब आपके हैंडसेट के बाकी फीचरों से ज्यादा अहम हो गए हैं। इस बार दो सबसे पॉपुलर ऑपरेटिंग सिस्टमों एंड्रॉयड और सिंबियन की जानकारी दे रहे हैं
आशीष पांडे :

क्या होता है ओएस

ओएस यानी ऑपरेटिंग सिस्टम , यह कंप्यूटर का भी होता है और मोबाइल का भी। फोन की बॉडी अगर शरीर है तो ऑपरेटिंग सिस्टम उसकी आत्मा , यानी जिस पर पूरा फोन फंक्शन करता है। स्मार्ट - फोन में ओएस की अहमियत काफी बढ़ जाती है क्योंकि उसे स्मार्ट बनाने का काम यही करता है। पहले हम समझते हैं एक नॉर्मल और स्मार्ट - फोन का अंतर। एक साधारण फोन में आप ज्यादा - से - ज्यादा जावा प्लैटफॉर्म पर बने ऐप्लिकेशन चला सकते हैं , जो या तो आपके फोन में पहले से लोड होते हैं या फिर आपका ऑपरेटर उन्हें आपको लोड करने की सहूलियत देता है। ये फोन कम दाम के होते हैं और एक तरह से इनका सिस्टम क्लोज्ड होता है। वहीं स्मार्ट - फोन की खासियत यह है कि ये ज्यादा ओपन होते हैं यानी इनमें थर्ड पार्टी ( इंडिपेंडेंट डिवेलपर ) द्वारा डिवेलप किए गए ऐप्लिकेशन जोड़े जा सकते हैं।

सिंबियन : बादशाहत बरकरा

इसे आप दुनिया का सबसे पॉप्युलर ऑपरेटिंग सिस्टम कह सकते हैं। करीब 47 परसेंट फोन सिंबियन पर ही चलते हैं। नोकिया के लगभग सभी फोन सिंबियन ऑपरेटेड हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से सिंबियन को घाटा हो रहा है और गूगल के एंड्रॉयड , ब्लैकबेरी और आई - फोन के ऑपरेटिंग सिस्टमों ने इसका हिस्सा काटा है। 2008 में सिंबियन का मार्केट शेयर करीब 52 फीसदी था।

इस ऑपरेटिंग सिस्टम के सबसे लेटेस्ट वर्जन सिंबियन -3 के साथ नोकिया अपना सबसे बड़ा दांव खेलने जा रही है , नोकिया एन -8 को लाकर। इसमें 12 मेगापिक्सल का कैमरा , एचडी विडियो और सराउंड साउंड जैसे फीचर तो हैं ही। नोकिया को उम्मीद है कि इसका ऑपरेटिंग सिस्टम इतना स्मूद होगा कि वह अपना खोया माकेर्ट शेयर फिर हासिल कर लेगी। एन -8 सिंबियन -3 पर चलने वाली पहली डिवाइस होगी। कुछ लोगों का कहना था कि नोकिया को अब सिंबियन का दामन छोड़ कोई और ऑपरेटिंग सिस्टम लाना चाहिए , लेकिन कंपनी ने साफ किया है कि अगले कुछ साल में कम - से - कम 5 करोड़ हैंडसेट वह सिंबियन 3 पर ही लाएगी।

डिवाइस : सिंबियन 1 या एस -60 सीरीज वह प्लैटफॉर्म है , जिस पर अधिकतर हैंडसेट चल रहे हैं। इसे लेनोवो , सैमसंग , एलजी ने भी अपने प्रॉडक्ट्स में इस्तेमाल किया है। एस -60 के अब तक पांच एडिशन आ चुके हैं। पांचवें एडिशन पर चलने वाली डिवाइसेज में नोकिया 5800 , 5530 , 5230 के अलावा एन -97 , एक्स 6 , सी -6 , सोनी एरिक्सन विवाज , सैटियो और सैमसंग ओमनिया एचडी शामिल हैं। एस -60 के 3.1 एडिशन पर नोकिया ई -72 , ई -75 के अलावा नोकिया के 5320 , 6730 , एन -85 , 86 , 79 समेत सैमसंग के भी कुछ फोन शामिल हैं। 3.0 ओएस पर ई - सीरीज की बाकी डिवाइसेज के अलावा एन -71 आदि चलती थी। इस्तेमाल में आसानी और चलन में ज्यादा होने की वजह से सिंबियन अब तक सबका फेवरिट रहा , लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या यह फ्यूचर का ओएस रह पाएगा। एन -8 की कामयाबी इसका जवाब देगी।

ऐप्लिकेशन : आप अगर सिंबियन डिवाइस नोकिया पर इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए ओवी स्टोर एक्सेस कर सकते हैं। यह तीसरा सबसे बड़ा एप स्टोर है और 6000 से ज्यादा ऐप्लिकेशन यहां मौजूद हैं। इसी तरह सैमसंग एप्स से आप सैमसंग हैंडसेट पर ऐप्लिकेशन लोड कर सकते हैं।
एंड्रॉयड : फ्यूचर का ओएस

गूगल का एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम इस वक्त सबसे एक्साइटिंग प्लेयर के तौर पर लिया जा रहा है। मोबाइल फोन ही नहीं , टैब्लेट पीसी और नेटबुक बनाने वाली कंपनियां भी इसे अपना रही हैं। इस पर आधारित पहला फोन एचटीसी ड्रीम था , जिसे अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया था। अब एचटीसी के अलावा सैमसंग , मोटोरोला , सोनी एरिक्सन , एलजी जैसी कंपनियां एंड्रॉयड पर आधारित अपने हाई - एंड स्मार्ट - फोन ला रही हैं। हालांकि एक अनुमान के मुताबिक स्मार्ट - फोन के बाजार में एंड्रॉयड फोंस का हिस्सा पिछले साल के आखिर तक 3.5 फीसदी था , लेकिन इसमें गजब की तेजी आ रही है। अनुमान है कि 2012 तक यह सिंबियन के बाद नंबर -2 मोबाइल ओएस बन जाएगा और ब्लैकबेरी और आई - फोन को पछाड़ सकता है।

क्या है खास : एंड्रॉयड इंक नाम की कंपनी ने इसकी शुरुआत की थी , जिसे बाद में गूगल ने खरीद लिया और फिर हार्डवेयर , सॉफ्टवेयर और टेलिकॉम की 71 कंपनियों के समूह ओपन हैंडसेट अलायंस ने इसे अपने हाथ में ले लिया। एंड्रॉयड में मोबाइल डिवाइसेज के लिए मल्टी - टच , मल्टी - टास्किंग , 3 डी ग्राफिक्स , एक्सलरोमीटर , टचस्क्रीन , जीपीएस जैसे तमाम फीचरों के लिए हाई क्वॉलिटी प्लैटफॉर्म तो है ही , बढि़या ब्राउजिंग एक्सपीरियंस भी है। सिंबियन के बजाय इसे तवज्जो देनेवालों का तर्क यह भी है कि एंड्रॉयड डिवेलप ही टचस्क्रीन मोबाइल के हिसाब से हुआ इसलिए इसमें हर फीचर नई जेनरेशन के स्मार्ट - फोन पर ज्यादा फिट बैठता है , जबकि सिंबियन में इनके हिसाब से मजबूरन चेंज किए गए हैं।

एंड्रॉयड के अब तक पांच वर्जन आ चुके हैं। पहला वर्जन 1.1 था , जोकि फरवरी 2009 में आया। इसके बाद 1.5 कपकेक , 1.6 डोनट , 2.0-2.1 एक्लेयर और अब लेटेस्ट 2.2 फ्रोयो आ रहा है। कपकेक में जहां यू - ट्यूब और एनिमेटेड स्क्रीन जैसे फीचर आए , तो डोनट के साथ ज्यादा वॉयस बेस्ड फीचर , इंटीग्रेटेड कैमरा और बेहतर ऐप्लिकेशन स्टोर आया। एक्लेयर ने कैमरा , मल्टी - टच , यूजर इंटरफेस और ब्राउजिंग को बेहतर किया है। अब 2.2 फ्रोयो के साथ स्पीड , मेमरी , ब्राउजिंग , अडोबी फ्लैश 10.0 समेत पूरे यूजर एक्सपीरियंस में नया अडवांसमेंट आ रहा है।

डिवाइस : गूगल का नेक्सस वन , मोटोरोला के ड्रॉयड और माइलस्टोन , एचटीसी के डिजायर , हीरो , टैटू , सैमसंग गैलेक्सी , एलजी का जीडब्ल्यू 620 और सबसे लेटेस्ट ओलिव पैड 3 जी टैब्लेट एंड्रॉयड पर चलती हैं। माइलस्टोन और एचटीसी हीरो 30 हजार रुपये की रेंज में हैं , जबकि एलजी का हैंडसेट और टैटू 16-17 हजार रुपये की रेंज में हैं। गैलेक्सी 25 हजार रुपये और ओलिव पैड 22 हजार रुपये की रेंज में मिल रहा है।

ऐप्लिकेशन : एंड्रॉयड स्टोर में 70 हजार से ज्यादा ऐप्लिकेशन हैं और एक अरब से ज्यादा डाउनलोड दर्ज हो चुके हैं। अपने ऐप्लिकेशन के अनूठेपन की वजह से एंड्रॉयड बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यह आपको फोन पर काफी कुछ नया करने की आजादी देता है। आनेवाले वक्त का ओएस पक्के तौर पर एंड्रॉयड ही होगा।